Wednesday, 26 October 2016

दीपावलीः लक्ष्मीप्राप्ति की साधना

दीपावलीः लक्ष्मीप्राप्ति की साधना

दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी।

मिट्टी के कोरे दीयों में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए। दीये ६ घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें। नासमझ लोग कोरे दीयों में घी डालकर बिगाड़ करते हैं।
लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोगः

दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् भाईदूज तक स्वच्छ कमरे में अगरबत्ती या धूप (केमिकल वाली नहीं-गोबर से बनी) करके दीपक जलाकर, शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केसर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की मालायें जपें।

ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महै। अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।

अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते को तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है।

दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की सचोट साधना विधियाँ –

1. धनतेरस से आरम्भ करें,

सामग्री–दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र, धूप, अगरबत्ती, दीपक, लाल वस्त्र ।

विधि–साधक अपने सामने गुरुदेव या लक्ष्मी जी की फोटो रखें तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र (रक्त कन्द) बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दें । उस पर केशर से सतिया (स्वास्तिक) बना लें तथा कुमकुम से तिलक कर दें । बाद में स्फटिक की माला से मंत्र की सात मालायें करें ।

तीन दिन ऐसा करना योग्य है । इतने से ही मंत्र साधना सिद्ध हो जाती है । मंत्र जप पुरा होने के पश्चात लाल वस्त्र में शंख को बाँधकर घर में रख दें । जब तक वह शंख घर मे रहेगा, तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी।

मंत्र - ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा  लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः ।

2. दीपावली से आरम्भ करें,

दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल एवं त्रिदिवसीय उपाय यह भी है कि दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात भाई दूज तक स्वच्छ कमरे में धूप, दीप, व अगरबत्ती जलाकर शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केशर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की दो दो मालायें जपें

ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महै। अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।

(दीपावली लक्ष्मी जी का जन्मदिवस है । समुद्र मंथन के दौरान वे क्षीरसागर से प्रकट हुई थी, अतः घर में लक्ष्मी जी के वास, दरिद्रता के विनाश और आजीविका के उचित निर्वाह हेतु यह साधना करने वाले पर लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है।)







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